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Friday, August 9, 2024
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Sunday, July 28, 2024
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Wednesday, June 26, 2024
भारतीय सांसदों को कितना वेतन है?
भारतीय सांसदों को मिलने वाली वेतन एवं सुविधाएं
विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत में अभी-अभी चुनाव खत्म हुआ है। 2024 के चुनाव में देश के मतदाताओं ने लोकतान्त्रिक विधि से 543 सांसद चुनकर अपने प्रतिनिधि के रूप में संसद भवन भेजे हैं। जो देश के समग्र विकास, उत्थान और आगे बढ़ाने में अपने महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। सांसद हमारे प्रतिनिधि के रूप में 5 वर्ष तक कार्य करेंगे। इसके लिए सांसदों को वेतनमान और भत्ते प्राप्त होते हैं।
सांसदों का वेतन कितना होता है?
एक सांसद को प्रति माह 1 लाख रुपए बतौर वेतन मिलते हैं। यह मूल वेतन है, इसके अलावा सांसदों को
प्रति माह- 2 हजार रुपए दैनिक भत्ता
निर्वाचन क्षेत्र भत्ता- 70 हजार रुपए
कार्यालय व्यय भत्ता- 60 हजार रुपए मिलता है।
इसके अतिरिक्त आवास, निर्वाचन क्षेत्र आवास और इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए तीनों टेलीफोनों पर सालाना 1,50,000 फ्री कॉल की जा सकती हैं।
किराया मुक्त सरकारी आवास मिलता है और बिजली मुफ्त मिलती है।
मिलने वाली अन्य सुविधाएं -
सांसद को किसी भी ट्रेन की फर्स्ट क्लास एसी या एग्जिक्यूटिव क्लास में मुफ्त यात्रा कर सकते हैं।
सरकारी काम के सिलसिले में विदेश यात्रा करने पर भी सांसद को सरकारी भत्ता मिलता है।
सभी सांसद को इलाज की सुविधा भी मिलती है। सांसद किसी भी सरकारी अस्पताल या रेफर कराने के बाद किसी प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराते हैं तो उसका खर्च शासन वहन करती है।
सांसद को सरकारी खर्च पर सिक्योरिटी गार्ड मिलते हैं।
सांसदों का वेतन कौन तय करता है-
भारतीय सांसद अपने वेतन खुद तय करते हैं। लेकिन कई दूसरे संवैधानिक पदों जैसे राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के पारिश्रमिक को संसद द्वारा पारित कानून के जरिए निर्धारित किया जाता है। इसी प्रकार केंद्र सरकार कर्मचारियों के लिए समय-समय पर स्वतंत्र वेतन आयोगों का गठन करती है। जबकि सांसदों का वेतन लागत मुद्रास्फीति सूचकांक के आधार पर हर पांच वर्ष में वृद्धि होती है।
आजादी के समय कितना वेतन था -
1947 में देश स्वतन्त्र हुआ तब सांसदों का वेतन 400 रू. था। आजादी के समय देश गरीबी और चुनौतियों से जूझ रहा था।
सांसदों की सैलरी का प्रावधान द सैलरी, अलाउंस एंड पेंशन ऑफ मेंबर्स ऑफ पार्लियामेंट एक्ट, 1954 के तहत किया गया था। जबकि 1952 वेतन भत्तों में संशोधन का है।
अन्य देशों की तुलना में वेतन भत्ते -
लेकिन क्या आप जानते हैं हमारे प्रतिनिधि के रूप में इन सांसदों का वेतन भत्ते और विश्व के अन्य लोकतांत्रिक देश के सांसदों के की तुलना में भारत के सांसदों का वेतन मान कितना है। "बिजनेस स्टैंडर्ड" में प्रकाशित इंटर पार्लियामेंट यूनियन के अनुसार दुनिया के आठ सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों में भारत के सांसदों का वेतन सबसे कम है ।
(PPP) परचेजिंग पावर पेरिटी के आधार पर किया गया है। दुनिया के सबसे बड़े 8 लोग लोकतांत्रिक देश अमेरिका, ब्राजील, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, जापान, ब्रिटेन, फ्रांस और भारत है। इन देशों में सांसदों का वेतन भारत के सांसदों के वेतन से कई गुना अधिक है। अमेरिका के सांसदों का वार्षिक वेतन बेसिक सैलरी 1.45 ब्राजील 1.42 जर्मनी 1.39 दक्षिण अफ्रीका 1.34 करोड़ रुपया है।
वहीं भारत के सांसद अन्य देशों के सांसदों की अपेक्षा अपने नागरिकों का सबसे अधिक नागरिकों का प्रतिनिधित्व करता है। भारत एक सांसद के पीछे 18 लाख नागरिक है वहीं अमेरिका का 6 लाख 30000 है।
वर्तमान में देश में लोकसभा और राज्यसभा दोनों में शामिल मिलाकर करीब 800 सांसद हैं।
source.
जामुन खाने के फायदे, शुगर जैसे अनेक रोगों में लाभदायक है
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Monday, June 10, 2024
जामुन खाने के फायदे: शुगर जैसे अनेक रोगों में लाभदायक है
जामुन एक औषधि
वर्षा ऋतू आरम्भ होते ही मानसून की बौछारों के साथ ही काले काले रसीले जामुन बाजारों में आना प्रारम्भ हो जाता है। जामुन हमें अपनी और आकर्षित करता है। ये जामुन हमारे स्वास्थ के लिए बड़ा ही उपयोगी है।
आयुर्वेद में जामुन औषधि के रूप में विशेष स्थान रखता है। जामुन वृक्ष का सर्वाग (फूल फल पत्ते पेड़ की छाल और जड़) उपयोग में लाया जाता है।
*जामुन की पत्तियों में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं. इसका सेवन मसूड़ों से निकलने वाले खून को रोकने में और संक्रमण को फैलने से रोकता है। जामुन का दातुन भी दांतों के लिए गुणकारी है।
*जामुन में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम् पाया जाता है।
*स्वास्थ्य की दृष्टि से विटामिन सी और आयरन से भरपूर जामुन शरीर में न केवल हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता। पेट दर्द, डायबिटीज, गठिया, पेचिस, पाचन संबंधी कई अन्य समस्याओं को ठीक करने में अत्यंत उपयोगी है।
*मुंह के छालों में जामुन की छाल के काढ़ा का इस्तेमाल करने से फायदा मिलता है। जामुन में मौजूद आयरन खून को शुद्ध करने में मदद करता है।
*जामुन का फल, पत्तियाँ और छाल का नियमित सेवन मधुमेह (शुगर) को बढ़ने नहीं देता। जामुन के फलों को सूखा कर बीजों का भी उपयोग में लाया जा सकता है।
*एक रिसर्च के अनुसार अगर जामुन की मोटी लकड़ी का टुकडा पानी की टंकी में रख दे तो टंकी में शैवाल, हरी काई नहीं जमता है।
*जामुन का रस नियमित लेने से पथरी ston गल कर निकल जाती है।
*जामुन के पतले टहनी का छाल निकाल कर सुखाकर सौंफ mouth freshner के रूप में किया जा सकता है।
जामुन हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, अतः जामुन का सेवन अवश्य करना चाहिए।
Sunday, May 26, 2024
नवतपा क्या है, नवतपा न लगे तो क्या होगा?
नवतपा रोहिणी नक्षत्र में गोचर होता है
हिंदी पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ माह के पहले दिन से नवतपा प्रारम्भ होता है। इस समय सूर्य रोहिणी नक्षत्र में गोचर होता है। ज्योतिषियों के अनुसार (सूर्य 15 दिनों के लिए रोहिणी नक्षत्र में आता है तो पहले नौ दिन सूर्य की किरणें पृथ्वी पर लम्बवत् पड़ती है। इस नवतपा यानि नौ दिन तक सूर्य की तेज किरणों से पृथ्वी गर्म हो जाती है इस समय पृथ्वी का तापमान 44° से 45° तक हो जाती है कहीं कहीं पर यह 47-48° तक भी हो जाती है।
जनजीवन पर प्रभाव - नौतपा में लू और गर्मी का प्रकोप बेहद बढ़ जाता है। पृथ्वी के गर्म होने कारण गर्म हवाएं चलती है इन दिनों में शरीर को हाइड्रेट रखना जरूरी होता है, वरना लू आसानी से चपेट में ले लेती है।
लू से कैसे बचें -
इन दिनों आवश्यक हो तभी घर से निकले, जब भी घर से निकले पर्याप्त पानी पीकर निकले।
सिर ढककर, आँखों के बचाव के लिए काला चश्मा, लगाए।
ढीले और आरामदायक कपड़े पहने।
शीतल जल, नीबू पानी, आमपना, मट्ठा,दही, ओआरएस. घोल का सेवन करें।
लू के गरम हवाओं ऐ शरीर की त्वचा को झुलसने से बचाने के लिए हल्दी, चन्दन बेसन या सन क्रीम का उपयोग करें। छायादार स्थान में रहें।
खीरा, ककड़ी, हरी सब्जी, फलों का सेवन करें।
प्याज का सेवन अवश्य करें।
लू लगने के लक्षण -
शरीर गर्म रहना, सिरदर्द, बुखार, उल्टी आना, पेट में ऐठन होना आदि लू लगने के लक्षण हैं।
लू लगने पर क्या करें - छायादार, हवायुक्त स्थान में रहें। बुखार आने पर गीले कपड़े की पट्टी का उपयोग करना चाहिए। प्राथमिक उपचार के साथ ही चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
नवतपा में धरती न तपे तो क्या होगा - इस पर लोक संस्कृति विद दीपसिंह भाट के अनुसार -
दो मूसा, दो कातरा, दो तीडी, दो ताव।
दो की बादी जल हरे, दो विश्वर दो वाव।
नवतपा में दो दिन चूहे, अगले दो दिन में कातरा, यानि फसल को नुकसान पहुचांने वाले कीड़े, लू नहीं चलने पर टिड्डीयों के अंडे नष्ट नहीं होंगे, विश्वर यानि सांप और बिच्छु नियंत्रण से बाहर हो जाएँगे, और फसलों को नुकसान करने वाली आंधियां चलेंगी।
ज्योतिषियों के अनुसार इन नौ दिनों में धरती तपे तो अच्छी बारिश का संकेत होती है।
Monday, May 6, 2024
डिजिटल वोटर आईडी कार्ड कैसे डाउनलोड करें
आगामी लोकसभा चुनाव में कोई भी मतदाता मत डालने मतदान केंद्र में जाता है तो उन्हें पहचान पत्र की आवश्यकता होती है इसके लिए निर्वाचन आयोग ने 12 प्रकार के पहचान पत्रों की सूची जारी किया गया है। हालांकि बीएलओ द्वारा मतदाता पर्ची वितरित किया जाता है लेकिन उसे पहचान पत्रों की श्रेणी में नहीं रखा गया है।
पहचान पत्रों की सूची इस प्रकार है -
1) ईपिक कार्ड
2) पासबुक किसी भी बैंक का
3) ड्राइविंग लाइसेंस
4) पासपोर्ट
5) जॉब कार्ड
6) आधार कार्ड
7) स्मार्ट कार्ड
8) आयुष्मान कार्ड
9) डाकघर का पासबुक
10) पैन कार्ड
11) पेंशन संबंधी कार्ड
12) स्वास्थ्य बीमा संबंधी कार्ड इस प्रकार से निर्वाचन आयोग ने मतदाता के पहचान के लिए पहचान पत्र की सूची जारी किया गया है।
इसके अलावा यदि कोई मतदाता कार्ड की जानकारी देनी चाहती है तो वह सीधे मतदाता सूची ऑनलाइन निर्वाचन आयोग के ऑफिशल नेटवर्क पर क्लिक करके जाहि गई जानकारी डाल करके अपनी जानकारी प्राप्त कर सकता है।
निर्वाचन आयोग के मतदाता सेवा पोर्टल से डिजिटल वोटर आईडी कार्ड डाउनलोड करने के लिए:
मतदाता सेवा पोर्टल https://voters.eci.gov.in/ में
*रजिस्टर करें या साइन-इन करें।
*होम पेज में ‘E-EPIC Download’ ऑप्शन पर क्लिक करें।
*‘EPIC No.’ या ‘Form Reference no.’ को सलेक्ट कर इसे दर्ज करें।
*अपना राज्य (state) सलेक्ट करें और ‘Search’ बटन पर क्लिक करें।
*Voter ID की डिटेल स्क्रीन पर दिखाई देगी।
*‘Send OTP’ बटन पर टैप करें और रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर आए ओटीपी को दर्ज करें।
*‘Verify’ बटन पर क्लिक करें।
*ओटीपी वेरिफाई हो जाता है, तो ‘Download e-EPIC’ बटन पर क्लिक करें।
वोटर हेल्पलाइन ऐप से डिजिटल वोटर आईडी कार्ड डाउनलोड करने के लिए:
Voter Helpline ऐप को अपने डिवाइस के प्ले स्टोर से डाउनलोड करें।
ऐप को ओपन करें और रजिस्टर करें या साइन-इन करके मांगी गयी आवश्यक जानकारी दर्ज कर डाउनलोड कर सकते हैं।
Saturday, May 4, 2024
EVM इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में नोटा क्या है?
नोटा क्या है ?
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के बैलेट यूनिट में सबसे नीचे नोटा का बटन होता है आखिर यह नोटा बटन क्या है और इसका प्रयोग पहली बार कब किया गया?
हालांकि भारत में चुनाव लोकतांत्रिक पद्धति से निष्पक्ष कराया जाता है फिर भी कभी-कभी राजनीतिक दलों द्वारा ऐसे व्यक्ति को उम्मीदवार बना दिया जाता है जो आम मतदाता को पसंद नहीं होता या कहीं-कहीं पर अयोग्य उम्मीदवार बाहुबली, अराजक तत्व जैसे लोग चुनाव लड़ते हैं जहां दबाव में न चाहते हुए भी मतदाताओं को वोट करना पड़ता है या मतदान में हिस्सा नहीं लेते। ऐसे प्रत्याशियों का विरोध करने के लिए प्रबुद्ध वर्गों, नागरिकों ने सुप्रीम कोर्ट से यह मांग किया गया कि यदि कोई उम्मीदवार पसंद ना हो तो उसे मत नहीं देने का अधिकार दिया जाए। सन् 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को आदेश दिया कि ऐसे प्रत्याशियों के लिए EVM इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन में "इनमें से कोई भी नहीं" नोटा (NOTA - None Of The Above) अर्थात "नन ऑफ द अबोव" बटन रखा जाए। इस अधिकार को "राइट टू रिजेक्ट" कहा गया। उनमें से कोई योग्य नहीं है, तो वो मतदाता वोट देने का यह विकल्प चुन सकता है। यह एक तरह का विरोध का अधिकार भी है, जो वोटर नोटा का बटन दबाकर बताता है कि कोई मौजूदा उम्मीदवार वोट के काबिल ही नहीं है।
NOTA नो वोट का अधिकार यह एक वोटिंग विकल्प है जो भारतीय चुनावों में वोटर्स को उपलब्ध किया गया है।
सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार प्रत्येक मतदाता को अपने पसंद के उम्मीदवार को वोट देने का अधिकार है इसके तहत निर्वाचन प्रक्रिया की शुद्धता और विश्वनीयता बढ़ेगी जिससे जी लोग मतदान करने नहीं आते हुए भी मतदान करने मतदान केंद्र तक पहुंचेंगे इससे मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा।
दिल्ली, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसी प्रदेशों में राज्य निर्वाचन आयोग ने स्थानीय निकाय के चुनाव में यदि नोटा को सबसे ज्यादा वोट मिलता है तो वहां दोबारा निर्वाचन प्रक्रिया होगा यह इन राज्यों के राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा बनाया गया नियम है लेकिन भारत निर्वाचन आयोग द्वारा लोकसभा और विधानसभाओं के निर्वाचन में इस प्रकार का प्रावधान नहीं है।
पहली बार नोटा का प्रयोग कब और कहां हुआ -
EVM में पहली बार नोटा बटन का प्रयोग छत्तीसगढ़ में 2013 के विधान सभा चुनाव में किया गया। इस चुनाव में कुल मतदान का 3% से अधिक मत नोटा में पड़ा था।
उसके बाद वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में नोटा का उपयोग किया गया उस समय भारत भर में लगभग 1% मतदाताओं ने नोटा बटन दबाया था
सबसे अधिक नोटा का उपयोग कहां किया गया -
छत्तीसगढ़ के बस्तर में लोकसभा चुनाव 2019 में देश भर में मतदाताओं ने लगभग 1% नोटा बटन दबाया था जबकि छत्तीसगढ़ में 4% से अधिक मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था।
बिहार का गोपालगंज 51,660 वोट के साथ नोटा वोट में सबसे ऊपर रहा। अराकु लोकसभा क्षेत्र, जो पूर्व गोदावरी, विशाखापत्तनम, विजयनगरम और श्रीकाकुलम के आदिवासी इलाकों में फैला है, ने आंध्र प्रदेश में किसी भी निर्वाचन क्षेत्र के लिए सबसे अधिक 16,532 नोटा वोट दर्ज किए थे।
क्या नोटा बटन का उपयोग करना चाहिए -
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में मतदान करना समस्त मतदाताओं का अधिकार है यदि कोई मतदाता मतदान नहीं करता है ऐसे में यह माना जा सकता है कि वह देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था का समर्थक नहीं है या व्यवस्था से संतुष्ट नहीं है।
नोटा बटन आपके प्रत्याशियों की लोकप्रियता या उसकी क्षमता कार्यशैली को देखकर दिया जा सकता है यदि किसी मतदाता को कोई प्रत्याशी पसंद नहीं है उसकी कार्यशैली पसंद नहीं है तो उसके विरोध में नोटा बटन दबाया जा सकता है इसका मतलब यह होता है कि मतदाता लोकतंत्र का हिस्सा या समर्थक् तो है लेकिन उसके क्षेत्र का प्रत्याशी को वह लायक या काबिल नहीं समझता है।
इसलिए सभी मतदाताओं को मतदान अवश्य करना चाहिए।
मतदान के पहले मॉकपोल क्यों कराया जाता है?






