नवतपा रोहिणी नक्षत्र में गोचर होता है
हिंदी पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ माह के पहले दिन से नवतपा प्रारम्भ होता है। इस समय सूर्य रोहिणी नक्षत्र में गोचर होता है। ज्योतिषियों के अनुसार (सूर्य 15 दिनों के लिए रोहिणी नक्षत्र में आता है तो पहले नौ दिन सूर्य की किरणें पृथ्वी पर लम्बवत् पड़ती है। इस नवतपा यानि नौ दिन तक सूर्य की तेज किरणों से पृथ्वी गर्म हो जाती है इस समय पृथ्वी का तापमान 44° से 45° तक हो जाती है कहीं कहीं पर यह 47-48° तक भी हो जाती है।
जनजीवन पर प्रभाव - नौतपा में लू और गर्मी का प्रकोप बेहद बढ़ जाता है। पृथ्वी के गर्म होने कारण गर्म हवाएं चलती है इन दिनों में शरीर को हाइड्रेट रखना जरूरी होता है, वरना लू आसानी से चपेट में ले लेती है।
लू से कैसे बचें -
इन दिनों आवश्यक हो तभी घर से निकले, जब भी घर से निकले पर्याप्त पानी पीकर निकले।
सिर ढककर, आँखों के बचाव के लिए काला चश्मा, लगाए।
ढीले और आरामदायक कपड़े पहने।
शीतल जल, नीबू पानी, आमपना, मट्ठा,दही, ओआरएस. घोल का सेवन करें।
लू के गरम हवाओं ऐ शरीर की त्वचा को झुलसने से बचाने के लिए हल्दी, चन्दन बेसन या सन क्रीम का उपयोग करें। छायादार स्थान में रहें।
खीरा, ककड़ी, हरी सब्जी, फलों का सेवन करें।
प्याज का सेवन अवश्य करें।
लू लगने के लक्षण -
शरीर गर्म रहना, सिरदर्द, बुखार, उल्टी आना, पेट में ऐठन होना आदि लू लगने के लक्षण हैं।
लू लगने पर क्या करें - छायादार, हवायुक्त स्थान में रहें। बुखार आने पर गीले कपड़े की पट्टी का उपयोग करना चाहिए। प्राथमिक उपचार के साथ ही चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
नवतपा में धरती न तपे तो क्या होगा - इस पर लोक संस्कृति विद दीपसिंह भाट के अनुसार -
दो मूसा, दो कातरा, दो तीडी, दो ताव।
दो की बादी जल हरे, दो विश्वर दो वाव।
नवतपा में दो दिन चूहे, अगले दो दिन में कातरा, यानि फसल को नुकसान पहुचांने वाले कीड़े, लू नहीं चलने पर टिड्डीयों के अंडे नष्ट नहीं होंगे, विश्वर यानि सांप और बिच्छु नियंत्रण से बाहर हो जाएँगे, और फसलों को नुकसान करने वाली आंधियां चलेंगी।
ज्योतिषियों के अनुसार इन नौ दिनों में धरती तपे तो अच्छी बारिश का संकेत होती है।

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