नोटा क्या है ?
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के बैलेट यूनिट में सबसे नीचे नोटा का बटन होता है आखिर यह नोटा बटन क्या है और इसका प्रयोग पहली बार कब किया गया?
हालांकि भारत में चुनाव लोकतांत्रिक पद्धति से निष्पक्ष कराया जाता है फिर भी कभी-कभी राजनीतिक दलों द्वारा ऐसे व्यक्ति को उम्मीदवार बना दिया जाता है जो आम मतदाता को पसंद नहीं होता या कहीं-कहीं पर अयोग्य उम्मीदवार बाहुबली, अराजक तत्व जैसे लोग चुनाव लड़ते हैं जहां दबाव में न चाहते हुए भी मतदाताओं को वोट करना पड़ता है या मतदान में हिस्सा नहीं लेते। ऐसे प्रत्याशियों का विरोध करने के लिए प्रबुद्ध वर्गों, नागरिकों ने सुप्रीम कोर्ट से यह मांग किया गया कि यदि कोई उम्मीदवार पसंद ना हो तो उसे मत नहीं देने का अधिकार दिया जाए। सन् 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को आदेश दिया कि ऐसे प्रत्याशियों के लिए EVM इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन में "इनमें से कोई भी नहीं" नोटा (NOTA - None Of The Above) अर्थात "नन ऑफ द अबोव" बटन रखा जाए। इस अधिकार को "राइट टू रिजेक्ट" कहा गया। उनमें से कोई योग्य नहीं है, तो वो मतदाता वोट देने का यह विकल्प चुन सकता है। यह एक तरह का विरोध का अधिकार भी है, जो वोटर नोटा का बटन दबाकर बताता है कि कोई मौजूदा उम्मीदवार वोट के काबिल ही नहीं है।
NOTA नो वोट का अधिकार यह एक वोटिंग विकल्प है जो भारतीय चुनावों में वोटर्स को उपलब्ध किया गया है।
सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार प्रत्येक मतदाता को अपने पसंद के उम्मीदवार को वोट देने का अधिकार है इसके तहत निर्वाचन प्रक्रिया की शुद्धता और विश्वनीयता बढ़ेगी जिससे जी लोग मतदान करने नहीं आते हुए भी मतदान करने मतदान केंद्र तक पहुंचेंगे इससे मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा।
दिल्ली, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसी प्रदेशों में राज्य निर्वाचन आयोग ने स्थानीय निकाय के चुनाव में यदि नोटा को सबसे ज्यादा वोट मिलता है तो वहां दोबारा निर्वाचन प्रक्रिया होगा यह इन राज्यों के राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा बनाया गया नियम है लेकिन भारत निर्वाचन आयोग द्वारा लोकसभा और विधानसभाओं के निर्वाचन में इस प्रकार का प्रावधान नहीं है।
पहली बार नोटा का प्रयोग कब और कहां हुआ -
EVM में पहली बार नोटा बटन का प्रयोग छत्तीसगढ़ में 2013 के विधान सभा चुनाव में किया गया। इस चुनाव में कुल मतदान का 3% से अधिक मत नोटा में पड़ा था।
उसके बाद वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में नोटा का उपयोग किया गया उस समय भारत भर में लगभग 1% मतदाताओं ने नोटा बटन दबाया था
सबसे अधिक नोटा का उपयोग कहां किया गया -
छत्तीसगढ़ के बस्तर में लोकसभा चुनाव 2019 में देश भर में मतदाताओं ने लगभग 1% नोटा बटन दबाया था जबकि छत्तीसगढ़ में 4% से अधिक मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था।
बिहार का गोपालगंज 51,660 वोट के साथ नोटा वोट में सबसे ऊपर रहा। अराकु लोकसभा क्षेत्र, जो पूर्व गोदावरी, विशाखापत्तनम, विजयनगरम और श्रीकाकुलम के आदिवासी इलाकों में फैला है, ने आंध्र प्रदेश में किसी भी निर्वाचन क्षेत्र के लिए सबसे अधिक 16,532 नोटा वोट दर्ज किए थे।
क्या नोटा बटन का उपयोग करना चाहिए -
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में मतदान करना समस्त मतदाताओं का अधिकार है यदि कोई मतदाता मतदान नहीं करता है ऐसे में यह माना जा सकता है कि वह देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था का समर्थक नहीं है या व्यवस्था से संतुष्ट नहीं है।
नोटा बटन आपके प्रत्याशियों की लोकप्रियता या उसकी क्षमता कार्यशैली को देखकर दिया जा सकता है यदि किसी मतदाता को कोई प्रत्याशी पसंद नहीं है उसकी कार्यशैली पसंद नहीं है तो उसके विरोध में नोटा बटन दबाया जा सकता है इसका मतलब यह होता है कि मतदाता लोकतंत्र का हिस्सा या समर्थक् तो है लेकिन उसके क्षेत्र का प्रत्याशी को वह लायक या काबिल नहीं समझता है।
इसलिए सभी मतदाताओं को मतदान अवश्य करना चाहिए।
मतदान के पहले मॉकपोल क्यों कराया जाता है?

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