इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का उपयोग अब भारत में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पूर्ण रूप से किया जा रहा है। लेकिन हर बार मतगणना के पश्चात हारी हुई राजनीतिक दल या प्रत्याशी और समर्थक इस मशीन पर आरोप लगाने की दुर्भावना से पीछे नहीं हटते और चुनाव आयोग की शिकायत हर बार किया जाता है। आज के बदलते आधुनिक युग में खर्चों में बचत करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मशीन का उपयोग भारत जैसे बड़े जनसंख्या वाले देश में आवश्यक हो गया है। मतगणना प्रारम्भ होने के पश्चात् कुछ ही घंटों में परिणाम मिल जाता है। फिर भी राजनीतिक दलों द्वारा अपने गुण दोष को न देखकर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर अपनी हार का ठीकरा डाल देता है।
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग पहली बार कहां किया गया
वर्ष 1982 में केरल राज्य के एर्नाकुलम जिले में पहली बार ईवीएम का उपयोग किया गया था यहाँ सिर्फ 50 बूथों में ट्रायल किया गया था। बैलेट यूनिट में आठ प्रत्याशियों के नाम का स्थान था।
पहली बार VVPAT का उपयोग कब हुआ
2013 में नागालैंड के चुनाव में पहली बार EVM और Vvpat का उपयोग किया गया जिसमें वोटिंग मशीन में बटन दबाने के बाद VVPAT में चुनाव चिन्ह को देख सकता था। डालने के
2019 आम चुनाव में सभी मतदान केंद्र में मतदान हुआ
2019 के चुनाव में पहली बार सभी 543 सीटों के सभी बूथों पर EVM और VVPAT का उपयोग किया गया था। इस समय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार प्रत्येक लोकसभा के प्रत्येक विधानसभा के पांच-पांच बूथों VVPAT से निकली पर्चीयो और बैलेट यूनिट की संख्या से रेंडम मिलान किया गया था जिसमें किसी भी प्रकार का मिसमैच नहीं हुआ था। तब से ईवीएम मशीन की विश्वसनीयता चुनाव आयोग द्वारा जाहिर करते हुए प्रत्येक विधानसभा और लोकसभा चुनाव इसी के द्वारा कराई जा रही है।
पहली बार बैलेट यूनिट में आठ प्रत्याशियों के नाम का स्थान था लेकिन अब 16 प्रत्याशियों का नाम रहता है जिसमें एक नोटा भी शामिल है। वर्तमान में एक सीट से प्रत्याशियों की संख्या 384 हो तक एक बार में चुनाव कराया जा सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का निर्माण कहाँ होता है-
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का निर्माण भारत के रक्षा मंत्रालय से जुड़ी इकाई इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड कंपनी करती है जो वर्तमान में बेंगलुरु, हैदराबाद और पंचकूला में स्थित है।
EVM की जांच का तरीका
बूथ पर जाने के पहले EVM के सभी यूनिट जैसे कंट्रोल यूनिट (CU) बैलेट यूनिट(BU) और VVPAT के साथ बैटरियों की जांच अलग-अलग तरीकों से कई बार परखा जाता है। VVPAT वीवीपैट का फुल फॉर्म (वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) है जिसमें मतदाता अपने द्वारा डाले गए वोट की पर्चियां से अपने द्वारा डाले गए वोट की चिन्ह को देख सकता है।
EVM मशीन को किसी भी चुनाव में ले जाने से पहले दर्जन बार राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के समक्ष मॉक पोल होता है और नतीजे घोषित किया जाता है। इनमें VVPAT के पर्चियों का मिलान भी किया जाता है। मशीन के निर्माण होने के बाद चुनाव आयोग के स्टैंडर्ड प्रोटोकाल के अनुसार अनेकों बार कन्ट्रोल यूनिट(CU) को 400, बैलेट यूनिट(BU) को 40, और (VVPAT) को 30 से अधिक बार जांचा परखा जाता है।
VVPAT की पर्चियां और वॉलेट यूनिट की संख्याओं का मिलान किया जाता है इस प्रकार इनको परखा जाता है।
चुनाव में प्रत्याशियों के नाम और सिम्बल के अपलोड होने के बाद दोनों बार नोटा सहित प्रत्याशियों के बटन के नाम को दबाकर जांचा जाता है और vvpat के पर्चियों से मिलान किया जाता है।
चुनाव पूर्व EVM के सभी यूनिटों जैसे कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट के साथ वीवीपैट का परीक्षण पांच चरणों में किया जाता है। अलग-अलग चरणों में प्रत्याशियों के नाम नोटा सहित सभी प्रत्याशियों बटन दबाकर डाली गई संख्या और वीवीपैट से निकली पर्चियां की संख्या को मिलाया जाता है। पांच चरणों में रैंडम 50 से 1000 बार प्रत्याशियों की संख्याओं को दबाकर उनकी संख्या को प्रीपेड की पर्चियां से मिलकर किया जाता है, अंत में उसे वोटिंग होने के पूर्व राजनीतिक दलों के एजेंट प्रतिनिधियों के समक्ष सभी प्रत्याशियों के बटन को नोटा सहित दबाकर वोट के रूप में दिया जाता है तत्पश्चात डाले गए वोटो की संख्या और वीवीपैट से निकली हुई पर्चियां की संख्या मिलाया जाता है मिसमैच होने पर तुरंत इकाइयों को बदलकर नई मशीन रखा जाता है जिसकी सूचना राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों प्रतिनिधियों को तत्काल दिया जाता है। वोटिंग के बाद सुरक्षित सभी इकाइयों को वेयरहाउस में सुरक्षा से जमा किया जाता है। वास्त्विक मतदान के पूर्व मॉकपोल मॉकपोल कराया जाता है।
EVM में इंटरनेट कनेक्शन-
EVM में किसी प्रकार के इंटरनेट कनेक्शन, ब्लूटूथ कनेक्शन नहीं रहता जिससे वायरलेस किसी भी रूप में कनेक्ट नहीं किया जा सकता। एक बार क्लोज बटन दबाने के बाद पुनः वोटिंग नहीं किया जा सकता।
पाकिस्तान में EVM से चुनाव की माँग-
भारत में EVM से जब भी चुनाव होता है, अनेक राष्ट्रीय दल सहित क्षेत्रीय दल सत्ता पक्ष पर EVM में छेड़ छाड, हैकिंग जैसे आरोप लगाकर बैलेट पेपर से चुनाव कराये जाने की माँग करने लगते हैं।
हाल ही में पड़ोसी देश पाकिस्तान में आम चुनाव हुआ। जिसमें पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान का कहना है कि अगर उनके देश में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से चुनाव होते तो चुनाव में धांधली नहीं होती। पाकिस्तान मे बैलेट पेपर से चुनाव हुआ है। पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार इमरान खान ने दावा किया है कि उनकी पार्टी तहरिक ए इंसाफ पार्टी (pti) को 3 करोड़ से अधिक वोट मिला है जबकि विपक्षी पार्टीओ को कुल इतने ही वोट मिला है।
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