श्री रामलला की सूर्य तिलक राम नवमी को होगा।
पहली बार श्री रामलला का सूर्य तिलक कर "सूर्य रश्मि अभिषेक" किया जाएगा जिसकी तैयारी अयोध्या मंदिर में हो चुकी है। 17 अप्रैल को ठीक 12:00 बजे सूर्य की किरणें श्री रामलला के मस्तक पर दिखेगी जो 4 मिनट तक 75 मिली मीटर आकार के गोल तिलक के रूप में दिखेगी। जिसे पूरे अयोध्या नगर में दिखाने के लिए लगभग 100 एलइडी टीवी की व्यवस्था अलग-अलग स्थान पर किया गया है।
सूर्य तिलक की तैयारी पूरी -
श्री राम जन्म भूमि तीर्थ के क्षेत्र ट्रस्ट भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा के अनुसार रामनवमी पर श्री राम लला के सूर्य तिलक पूरी तैयारी है जिसका ट्रायल भी कर लिया गया है। यह पहली बार होगा जब रामलाल भगवान का अभिषेक सूर्य तिलक से होगा।
सूर्य तिलक 12 बजे ही क्यों?
"महर्षि वाल्मीकि" के अनुसार चैत्र शुक्ल नवमी तिथि और पुनर्वसु नक्षत्र में जब पांच ग्रह अपने उच्च स्थान में थे तब हुआ था इस प्रकार सूर्य मेष में 10 डिग्री मंगल मकर में 28 डिग्री बृहस्पति कर्क में पांच डिग्री पर शुक्र मीन में 27 डिग्री पर और शनि तुला राशि में 20 डिग्री पर था। तब 'श्री राम का ' जन्म हुआ।
तुलसीदास जी भी रामचरित मानस में लिखते हैं कि-
नवमी तिथि मधुमास पुनीता। शुक्ल पक्ष अभिजीत हरिप्रीता।।
मध्य दिवस अति सीत न घामा। पावन काल लोक विश्रामा ।।
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि श्री राम का जन्म स्थानीय समय पर दोपहर के 12:05 सेकंड बजे हुआ था। उस समय भगवान का प्रिय अभिजीत मुहूर्त था तब ना बहुत सर्दी थी ना बहुत धूप थी।
चंद्र कैलेंडर से रामनवमी की तारीख तय होती है-
सीबीआरआई के वैज्ञानिक डॉ प्रदीप चौहान के अनुसार "रामनवमी" की तारीख "चंद्र कैलेंडर" से तय होती है। सूर्य तिलक तय समय पर हो इसीलिए सिस्टम को ऐसा बनाया गया है जो सेकंड्स में दर्पण और लेंस पर किरणों की चाल बदल सकती है। बेंगलुरु की कंपनी आप्टिका ने लेंस और पीतल के पाइप बनाए हैं। चंद्र और सौर कैलेंडरों के बीच जटिल अंतर की समस्या का हल इंडियन इंस्टीट्यूट आफ एस्ट्रोफिजिक्स ने निकाला है।
वैज्ञानिकों ने सूर्य पथ सिद्धांत पर तैयार किया सिस्टम-
पेरिस्कोप मॉडल का यह सिस्टम आईआईटी रुड़की के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट में बनाया है। प्रोजेक्ट वैज्ञानिक देवव्रत दत्त घोष के मुताबिक यह सूर्य के पथ बदलने के सिद्धांतों पर आधारित है, जिससे सूर्य की किरणें तीसरी मंजिल पर लगे सिस्टम के रिफ्लेक्टर पर गिरेगी वहां से वर्टिकल पाइप में लगे लेंस से गुजरते हुए किरणें गर्भगृह में रामलला के ठीक सामने लगे दूसरे दर्पण पर गिरेगी इस दर्पण को 60 डिग्री में लगाया गया है ताकि किरण सीधे मस्तक तक जाए।
दोहा -
जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भाई अनुकूल। चर अरु अचर हर्षजुत राम जनम सुखमूल।।
अर्थ- योग, ग्रह, लग्न, वार और तिथि सभी अनुकूल हो गए। जड़ और चेतन सब हर्ष से भर गए। क्योंकि श्री राम का जन्म सुख का मूल है।
रामलला-का-आभूषणों-से-दिव्य-श्रृंगार-किया-गया

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