Saturday, March 9, 2024

छत्तीसगढ़ में मीसाबंदी पेंशन योजना चालू, क्या है मीसाबंदी?

      मीसा (MISA) अर्थात (Maintenance of Internal Security Act) आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम होता है। देश के आतंकी, नक्सली, एवं अन्य गतिविधि से जो देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को सुरक्षित बनाये रखने के लिए सन् 1971 में भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था। जिसे मीसा कहा गया।

Misa bandi pension image

  वर्ष 1975 में तत्कालीन सरकार के नीतियों के विरोध में विपक्षी नेता सभा लेकर आंदोलन कर रहे थे। जिसे दबाने के लिए 25 जून 1975 को आपातकाल लगाया गया। आपातकाल के साथ ही विपक्ष के नेताओं की देशभर में गिरफ्तारियां शुरू हो गईं।

विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारियां -

 जयप्रकाश नारायण दिल्ली तिहाड़, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी तिहाड़, मधुलिमए रायपुर, चंद्रशेखर, मोरारजी भाई देसाई, राज नारायण जी सागर में शरद यादव को जबलपुर से, ओमप्रकाश रावल, मदन तिवारी, पुरुषोत्तम कौशिक रायपुर, रामानंद तिवारी, मृणाल गोरे, मधु दंडवते, प्रमिला दंडवते, रामबहादुर राय, नानाजी देशमुख, रघुवीर सिंह कुशवाहा, रामधन, चौधरी देवीलाल, भैरों सिंह शेखावत आदि हजारों लोगों को 25  से 26 जून के बीच मीसा में गिरफ्तार कर लिया गया था और इसके साथ-साथ लगभग एक लाख लोगों को अन्य धाराओं में जैसे 151 डीआईआर आदि में गिरफ्तार किया गया था। 

  अरुण जेटली 26 जून 1975 को 22 वर्ष की उम्र में तिहाड जेल, लालू यादव, नीतीश कुमार, सुशील मोदी, जॉर्ज फर्नांडिस, रविशंकर प्रसाद तक देश भर के विभिन्न जेलों में जबरदस्ती बंद किये गए थे।

मीसा बंदी किसे कहते हैं -

      मीसा कानून साल 1971 में लागू किया गया था इसमें कानून व्यवस्था बनाये रखने वाली संस्थाओं को बहुत अधिक अधिकार दिये गये थे। लेकिन इसका इस्तेमाल 1975 में आपातकाल के दौरान किया गया। इसमें सरकार विरोधियों, नेताओं के साथ पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ता भी (एनएसए), भारत सुरक्षा नियम डीआईआर के तहत जेल में डाल दिए थे। डीआरआई एक्ट के तहत जेल जाने वाले व्यक्तियों को "मीसा बंदी" कहा जाता है।

1977 में हुए चुनाव के बाद बनी जनता पार्टी की सरकार द्वारा इसे समाप्त किया गया।

मीसा बंदीयो को पेंशन कब दिया गया-

     वर्ष 2014 में छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार ने डीआरआई और मीसा बंदियों को "लोकतंत्र सेनानी"  सम्मान निधि 15 हजार रुपये पेंशन देना शुरू किया।

   2018 में कांग्रेस सरकार ने यह पेंशन बंद कर दिया गया था अब छत्तीसगढ़ में पुनः पेंशन देने की घोषणा किया है। साथ ही बंद किये गए वर्षों की बकाया राशि का एरियर्स दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ में मीसा बंदियों की संख्या 430 के आसपास है।

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