Thursday, February 22, 2024

एमएसपी MSP क्या है? जिसके लिए किसान आंदोलनरत है

       भारत गांवों का देश है जहां किसान बसते हैं । किसानों को अन्नदाता कहा जाता है। किसान बड़े ही भोले भाले होते हैं। आज यही किसान अपने उत्पादों के समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए आंदोलनरत हैं। किसानों द्वारा उत्पन्न किए गए फसलों  को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) खरीदती है इसमें मुख्य फसल धान और गेहूं है। इन फसलों को एफसीआई समर्थन मूल्य पर खरीद कर रियायती दरों पर लोगों को उपलब्ध कराती है।  इस प्रक्रिया में एफसीआई को जो नुकसान होता है उसकी भरपाई केंद्र सरकार करती है।

MSP

एमएसपी क्या है?

 एमएसपी अर्थात (Minimum Support Prices) न्यूनतम समर्थन मूल्य है, जिस पर सरकारी खरीद एजेंसी किसानों से फसलें खरीदती है। एमएसपी किसानों को बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाने के साथ आय की सुरक्षा देता है किसानों को उनकी फसलों की उचित कीमत मिले यह सुनिश्चित करने में एमएसपी की अहम भूमिका है। 

     एमएसपी कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) द्वारा तय की जाती है। सीएसीपी उत्पादन लागत बाजार के रुझान और मांग आपूर्ति के परिधि पर विचार करके एमएसपी तय करती है! एमएसपी की शुरुआत 1966-67 में हुई। उस समय देश में खाद्यान्न की कमी थी और आयात के जरिए जरूरतें पूरी की जाती थी।

 एमएसपी कहां से आई? 

 एम.एस.स्वामीनाथन की कमेटी ने 2004 - 2006 में कृषि क्षेत्र को बहुत गहराई से अध्ययन करके अपनी रिपोर्ट पेश की थी कृषि क्षेत्र के सशक्तिकरण के लिए सिर्फ न्यूनतम समर्थन मूल्य की ही सिफारिश के साथ ही किसानों के समग्र विकास के लिए नीतियां बनाने तथा ढांचा गति विकास करने पर जोर दिया गया है। जिससे देेश का कृषि क्षेत्र विश्व बाजार के अवसरों का अधिकतम लाभ उठाने के लिए प्रतिस्पर्धी बन सके।  2006 में अपनी रिपोर्ट पेश कर दिया गया था। अभी हाल ही में कृषि वैज्ञानिक एम.एस.स्वामीनाथन को भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान "भारत-रत्न" दिया गया।

     स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट छोटे मझौले व भूमिहीन किसानों और कृषि के लिए उभरती हुई चुनौतियों और अवसरों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। देश में इस प्रकार के किसानों की संख्या लगभग 86% है।

किसानों की प्रमुख मांगे-

* न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी 

* एमएसपी का भुगतान स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार हो

* कर्ज माफी जमीन अधिग्रहण के पहले किस की अनुमति और मुआवजा चार गुना हो

* विश्व व्यापार संगठन से भारत बाहर निकले 

* सभी मुक्त व्यापार समझौता को खत्म करना

* सभी किसानों और कृषि श्रमिकों को ₹10000 प्रतिमाह पेंशन 

* मनरेगा के तहत रोजगार बढ़कर 200 दिन और मजदूरी 700 रुपए प्रतिदिन किया जाए

* किसानों को मुफ्त बिजली दिया जाए।

MSP पर विद्वानों के विचार -

   डॉ आर एस देशपांडे पूर्व निदेशक बीआर अंबेडकर स्कूल आफ इकोनॉमिक्स बेंगलुरु के अनुसार पंजाब में प्रति क्विंटल खेती की लागत 1530 ₹ है और एमएसपी 2275 रुपए प्रति क्विंटल है इस तरह से खेती की लागत से ऊपर 51.3 प्रतिशत मुनाफा किसानों को दिया जा रहा है। किसानों की मांगे संविधान के बुनियादी सिद्धांतो के खिलाफ है।

    डॉक्टर राम श्रीवास्तव प्रोफेसर (रिटायर्ड) हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के अनुसार-  स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें कृषि क्षेत्र के समग्र विकास के लिए थे लेकिन एमएसपी से जुड़ी सिफारिशों का इस्तेमाल किसानों को आंदोलन करने के लिए किया जा रहा है यह पूरे कृषि क्षेत्र को अपंग बनाने की साजिश है जो किसानों के लिए हानिकारक साबित होगी।

 पंजाब में केंद्र सरकार ने कृषि ढांचा को मजबूत बनाने के लिए वित्तीय सुविधाओं के साथ रासायनिक खाद एवं कृषि उपकरण उपलब्ध कराया गया है।

छत्तीसगढ़ में केसर की खेती प्रारम्भ


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