स्वतंत्र भारत के लोकतंत्र वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव पर दुनिया भर में की नजर रहेगी। देश का 18 लोकसभा चुनाव में इस बार अनुमान के अनुसार 1.2 लाख करोड रुपए से अधिक खर्च हो सकता है।
भारतीय चुनाव आयोग नि:पक्ष भय मुक्त वातावरण में चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है इसके साथ ही देश के राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के खर्च की राशि की सीमा तय है ताकि मतदाता बिना किसी लालच के निर्भय होकर मतदान कर सके ।
भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने लोकसभा चुनाव में राजनितिक दलों के खर्च की सीमा नहीं रखा है जबकि प्रत्येक लोकसभा उम्मीदवार के लिए चुनाव प्रचार पर नामांकन से लेकर मतदान होने तक अधिकतम 95 लाख रू.धनराशि तक निर्धारित किया है। इसमें उम्मीदवार को 10 हजार से अधिक के सभी लेनदेन बैंक के जरिए करना होता है।
चाय-पानी के खर्च से लेकर ऑफिस खोलना, बैठकों, जुलूसों, रैलियों, विज्ञापनों, पोस्टर-बैनर और वाहनों का खर्च भी शामिल होता है। आलू-पूड़ी, चावल-दाल रुपये खर्च कर सकेंगे।
प्रत्याशी मनमाने रेट नहीं लगा सकता। जैसे एक कप चाय आठ रुपये और समोसा 10 रुपये का ही माना जाएगा। चाहे प्रत्याशी ने किसी भी रेट पर ही क्यों न खरीदा हो। जो आयोग द्वारा प्रदेश और ज़िला के स्थानीय स्तर पर निर्धारित किया जाता है।
स्वागत के लिए छोटीफूल-माला का, बड़ी फूल-माला प्रिंटेड पेन, प्रिंटेड कलाई घड़ी। इन सभी आइटम्स का इस्तेमाल करने के साथ ही प्रत्याशी अगर किसी सभा का आयोजन करता है, तो उसमें लगने वाली एक कुर्सी का खर्च, टेबल का खर्च भी जोड़ा जाएगा। सभाओं के लिए स्टेज बनाने पर प्रति वर्ग मीटर और कारपेट या दरी बिछाने पर वर्ग मीटर के अनुसार खर्च गणना किया जाएगा।
ऐसे ही अगर कोई प्रत्याशी किसी मशहूर गायक आदि को प्रचार के लिए बुलाता है तो उसकी फीस स्टेज के साथ जेनरेटर की भी तय रहता है।
विमान और हेलीकॉप्टर का किराया भी 5 लाख रुपए प्रति घंटे, इसी प्रकार हेलीकॉप्टर के लिए डेढ़ लाख रुपए प्रति घंटा हो सकते है।
मतगणना के पश्चात् प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत धारा 71-1 के तहत प्रत्याशी को अपने व्यय का लेखा जोखा प्रस्तुत करना अनिवार्य है। नहीं किये जाने पर अगला चुनाव लड़ने पर 6 वर्ष के लिए अयोग्य हो जाएगा।
मेजर जनरल (रि) अनिल वर्मा हेड(एडीआर) ने खर्च की सीलिंग करने की मांग की है उनके अनुसार आयोग को खर्च की जाने वाली रिपोर्ट में 98% प्रत्याशी खर्च हो 60 से 65% खर्च ही दिखाते हैं।
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-चाय-पानी-का-भी-हिसाब-देना-होगा
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