भारत में सभी प्रकार के चुनाव में मतदान करने के लिए मतदाता पहचान पत्र की आवश्यकता होती है। स्वतंत्रता के बाद इनमें अनेको प्रकार का किया गया है। अब मतदाता पहचान पत्र फोटो युक्त हो गया है जो दिन ही नहिए अनेक स्थानों में पहचान पत्र के रूप में उपयोग में लाया जाता है।
फोटो युक्त मतदाता पहचान पत्र कब बना
1958 में फोटो युक्त पहचान पत्र जारी करने का प्रावधान किया गया था जिसे तत्कालीन कानून मंत्री अशोक कुमार सेन ने 27 नंवबर 1958 को निचले सदन में विधेयक पेश किया था और 30 दिसंबर 1958 को यह विधेयक पास हो गया। तब से यह कानून बन गया। इसका उल्लेख चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित किताब "लीफ आफ फेथ" में मिलता है। उस समय मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन थे।
फोटो युक्त पहचान के लिए पायलेट प्रोजेक्ट-
फोटो युक्त पहचान पत्र जारी करने के लिए सन् 1960 में पायलेट प्रोजेक्ट में चलाया गया। उस समय कोलकाता दक्षिण पश्चिम लोकसभा का उपचुनाव था तब अधिकांश महिला और पुरुष मतदाताओं ने फोटो खिंचवाने से इनकार कर दिया था। 10 माह में लगभग 2 लाख पहचान पत्र जारी किया गया था।
1993 में राष्ट्रीय स्तर पर शुरुआत किया गया-
चुनाव में फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदाता पहचान पत्र की शुरुआत 1993 में हुई तब पूरे देश भर में मतदाता फोटो युक्त पहचान पत्र के लिए शिविर लगाकर फोटोग्राफी कराया गया था। अब फोटो युक्त पहचान पत्र अनिवार्य हो गया है। इसकी उपयोगिता मतदान करने के अलावा अनेक स्थानों पर एड्रेस प्रूफ अर्थात पता सत्यापन का कार्य भी किया जाता है।
12 प्रकार की पहचान पत्र को मान्यता-
हालांकि मतदान करने के लिए 12 प्रकार की (आइडी) पहचान पत्र को मान्यता दिया गया है। जिसमें इपिक कार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट, राशन कार्ड, बैंक पासबुक, जॉब कार्ड आदि है।
2021 में e ईपिक कार्ड जारी किया गया-
वर्तमान में मतदाता पहचान पत्र का इलेक्ट्रॉनिक वर्जन जारी हो चुका है चुनाव आयोग ने 2021 में (e-EPIC) ई इपिक कार्ड लॉन्च किया जिसे इलेक्ट्रॉनिक वर्जन कहा जा सकता है। यह मतदाता पहचान पत्र का सुरक्षित पीडीएफ वर्जन है इसे संपादित (बदलाव) नहीं किया जा सकता इसे मोबाइल पर डाउनलोड करके स्टोर कर सकते हैं।

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