Thursday, December 21, 2023

पारिजात(हरसिंगार) के औषधिय एवं धार्मिक महत्व

      "हरसिंगार या पारिजात" इसकी छोटी छोटी सफ़ेद पुष्प रात में खिल कर सुबह बिखर जाती है । इसके फूलों की भीनी-भीनी सुगन्ध हमें अपनी और आकर्षित करती है। इसे देव वृक्ष भी कहा जाता है। हरसिंगार का जहां दर्शन मात्र सौभाग्य माना जाता है वही आयुर्वेद में भी इसका उपयोग किया जाता है। 

parijat

जोड़ो के दर्द में

     घुटनों के दर्द या शरीर के जोड़ों में कट कट की आवाज आना कैल्शियम की कमी के कारण होता है। इसके लिए हरसिंगार के 8 से 10 पत्तों का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट पीने से जोड़ों का दर्द और शरीर में आने वाले कटकट की आवाज से निजात पाया जा सकता है यह शर्तिया है। गठिया और अर्थराइटिस जैसे जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। इसके छाल का अर्क बुखार को  आराम देता है।

  हरसिंगार के पत्तों के काढ़े का उपयोग स्वांस रोग में भी किया जाता है।

 हरसिंगार के फूलों का उपयोग बवासीर के लिए किया जाता है इसके लिए इसके फूलों को पीसकर उबालकर ठंडा होने पर एक कप की मात्रा में इसे प्रतिदिन सुबह पीने से एक सप्ताह में बवासीर का रोग खत्म हो जाता है। हरसिंगार का फूल पाचन क्रिया को आसान करता है।

    वास्तु दोष दूर करने के लिए भी हरसिंगार का पौधा घर में या आस पास लगाया जाता है। जिससे घर धन धान्य से भरा होता है। देव और दानवो द्वारा समुद्र मंथन में पारिजात का वृक्ष भी निकला था जिसे स्वर्ग में लगा दिया गया था।इसलिए इसे देव वृक्ष भी कहते हैं।

आंवला से होने वाले फायदे



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