Wednesday, November 22, 2023

GDP क्या है, देश पर क्या असर पड़ता है?

      एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023 में भारत का GDP 4.5 ट्रिलियन डॉलर माना गया है । कोरोना महामारी के समय देश कि अर्थव्यवस्था खराब हो गयी थी। भारत की अर्थव्यवस्था का नाम मौजूदा समय में दुनिया की सबसे शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं में शामिल किया जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण 23 के अनुसार, भारत को वित्तीय वर्ष 2023-2024 के लिए 6.5% की आधारभूत जीडीपी वृद्धि देखने की उम्मीद है। वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6% से 6.8% के बीच रहने का अनुमान है।

GDP क्या है ?

GDP

GDP (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट) यानी सकल घरेलू उत्पाद। किसी एक साल में कोई देश में पैदा होने वाले सभी सामानों और सेवाओं की कुल कीमत (वैल्यू)को GDP कहते हैं।

जीडीपी के प्रकार -

     अवास्तविक GDP:- यह चालू कीमतों (वर्तमान वर्ष की प्रचलित कीमत) में व्यक्त सभी वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को मापता है।

      वास्तविक GDP:- नॉमिनल GDP के विपरीत यह किसी आधार वर्ष की कीमतों पर व्यक्त की गई सभी वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को बताता है। वास्तविक जीडीपी में महंगाई के असर को भी समायोजित कर लिया जाता है। यानी अगर किसी वस्तु के मूल्य में 10 रुपये की बढ़त हुई है और महंगाई 4 फीसदी है तो उसके रियल मूल्य में बढ़त 6 फीसदी ही मानी जाएगी।

GDP कैसे तय किया जाता है ?

     आधार वर्ष की कीमतें स्थिर मानी जाती हैं, जबकि चालू वर्ष की कीमतों में परिवर्तन संभव होता है। चालू वर्ष से 7 से 10 वर्ष को आधार वर्ष माना जाता है।

     रिसर्च और रेटिंग्स फ़र्म केयर रेटिंग्स के अर्थशास्त्री सुशांत हेगड़े का कहना है कि जीडीपी ठीक वैसी ही है, जैसे 'किसी छात्र की मार्कशीट' होती है.

     चार प्रमुख घटकों के ज़रिए जीडीपी का आकलन किया जाता है-

पहला घटक- "कंजम्पशन एक्सपेंडिचर" है. यह गुड्स और सर्विसेज को ख़रीदने के लिए लोगों के कुल ख़र्च को कहते हैं। उपभोग व्यय (Consumption Expenditure) से तात्पर्य घर, सरकार और गैर-लाभकारी संगठनों सहित सभी उपभोक्ताओं द्वारा किए गए कुल व्यय।

दूसरा- "गवर्नमेंट एक्सपेंडिचर", 

तीसरा- "इनवेस्टमेंट एक्सपेंडिचर" है और 

चौथा- "नेट एक्सपोर्ट्स" आता है.

जीडीपी के डेटा को आठ सेक्टरों से इकट्ठा किया जाता है. इनमें कृषि, मैन्युफैक्चरिंग, इलेक्ट्रिसिटी, गैस सप्लाई, माइनिंग, क्वैरीइंग, वानिकी और मत्स्य, होटल, कंस्ट्रक्शन, ट्रेड और कम्युनिकेशन, फ़ाइनेंसिंग, रियल एस्टेट और इंश्योरेंस, बिजनेस सर्विसेज़ और कम्युनिटी, सोशल और सार्वजनिक सेवाएँ शामिल हैं।

GDP कौन तय करता है

     जीडीपी GDP को नापने की जिम्मेदारी सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के तहत आने वाले (सेंट्रल स्टेटिस्टिक्स ऑफिस) यानी केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय की है. यह ऑफिस ही पूरे देश से आंकड़े इकट्ठा करता है और उनकी कैलकुलेशन कर जीडीपी का आंकड़ा जारी करता है।

     सरकार के अलावा कारोबारी, स्टॉक मार्केट इनवेस्टर और अलग-अलग नीति निर्धारक जीडीपी डेटा का इस्तेमाल सही फ़ैसले करने में करते हैं।

GDP से देश पर क्या प्रभाव पड़ता है-

     GDP अच्छी होती है अर्थात जब अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन करती है, तो कारोबारी और ज़्यादा पैसा निवेश करते हैं और उत्पादन को बढ़ाते हैं क्योंकि भविष्य को लेकर वे आशावादी होते हैं।

     लेकिन जब जीडीपी के आँकड़े कमज़ोर होते हैं, तो हर कोई अपने पैसे बचाने में लग जाता है. लोग कम पैसा ख़र्च करते हैं और कम निवेश करते हैं. इससे आर्थिक ग्रोथ और सुस्त हो जाती है।

     इसकी गणना आमतौर पर सालाना होती है, लेकिन भारत में इसे हर तीन महीने यानी तिमाही भी आंका जाता है।





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