Saturday, February 27, 2021

गणेश जी की आरती


Sri Ganesh ji

                   


 ।।  श्री ।।

जय जय श्री गणराज, विद्या सुख दाता । 
धन्य तुम्हारो  दर्शन,  मेरे मन रहता ।।

हाथ  लिये  गुड़ लड्डू,  अच्छे  मुख गज को । 
दन्त विशाल विराजे ,  सुत  हर गौरी को।।

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता,  संकट के बैरी ।
विघ्न विनाशक मंगल,   मूरति अधिकारी ।

कोटिक सूर्य प्रकाश कियो है,  ऐसो छबिधारी ।
घंटा झूले मस्तक भाले ,  चंदा   शुभकारी ।।

उत्तम तुम्हरो दर्शन ,  गज विशाल मूरति । 
कुम- कुम चन्दन अक्षत,   पुष्पम अधिकारी ।।

ऐसो तुम महराज मोको,  अति नित तुम भावो ।
गोकुल  में कुल नंदन,  निशि दिन गन गावो ।।

काशी में एक ब्राम्हण, नंदा ब्रम्हचारी ।
नित उठ भोग लगावे, महिमा अति भारी।।

श्री गणराज  जी की आरती जो कोइ जन गावे।
कहत नंद ब्रम्हचारी इक्षित फल पावे।।

जय जय श्री  गणराज,  विद्या सुख दाता ।  
  
।।श्री गणेश जी महराज की जय ।।

११-०९-१९५९ भाद्रपद सुदी   -०८, २०१६ के साल
  कलानाथ ताम्रकार करेली वाले , धमधा 





                    

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